संक्रमण होने पर समय रहते कराये समुचित जांच,माइक्रोबायोलॉजी विभाग, नवान्न तकनीक एवं नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित हुआ प्राचार्या डॉ संगीता अनेजा।

(फोटो प्राचार्या डॉ संगीता अनेजा)

 

गर्मियों का मौसम आते ही संक्रमण जन्य बिमारियों की सम्भावना बढ़ जाती है।
कई सूक्ष्म जीवाणु, परजीवी इस मौसम में पनपते हैं एवं विभिन्न बीमारियां फैलाते हैं।
अतः डायरिया, डिसेंट्री, टायफाइड, पीलिया इत्यादि की सम्भावना इस मौसम में बढ़ते देखी जाती है।
साथ ही दूषित भोजन भी मृत्यु का कारण बनने वाली बीमारियां जैसे टायफायड, डायरिया आदि बीमारियां होने लगती हैं, एवं मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसी बीमारियां भी दस्तक देने लगती हैं।
हालांकि सभी बिमारियों के अलग-अलग किन्तु निश्चित लक्षण होते हैं, परन्तु इनमें सभी बीमारियों की समुचित जांच माइक्रोबायोलॉजी लैब में सम्भव है।वर्तमान में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय पीलीभीत के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में प्रति माह लगभग 6000 जांचें की जाती हैं।

डॉ. दीपिका वर्मा आचार्या विभागाध्यक्षा माइक्रोबायोलॉजी

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में यह होती है जाँचे
1. मलेरिया कार्ड टेस्ट
2. विडाल टेस्ट
3. टायफीडॉट
4. डेंगू कार्ड एवं एलाइजा
5. वायरल हेपेटाइटिस जांचें
6. मल (स्टूल) आर/एम
7. चिकनगुनिया आइ जी एम
8. टीबी ट्रूनैट (टी बी टूरूनाट)

स्वउपचार एवं अप्रशिक्षित चिकित्सक से उपचार कराने से बीमारी बढ़ सकती है एवं प्राणघातक हो सकती है।
इन सभी बीमारियों का सही समय पर उपचार बिना उनकी सही पहचान सम्भव नहीं है, अतः आधुनिकतम प्रयोगशाला, वर्तमान में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय पीलीभीत में स्थापित नये भवन के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में यह सभी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं।प्राचार्या डॉ. संगीता अनेजा के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में माइक्रोबायोलॉजी विभाग, नवान्न तकनीक एवं नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित है तथा विभिन्न संक्रमणों की समुचित जांच गुणनात्मक रूप से शोध करने को तत्पर एवं समर्पित है।इस दिशा में विभागाध्यक्ष डॉ. दीपिका वर्मा एवं उनके सहयोगी सदस्यगण के अनथक प्रयासों द्वारा, निकट भविष्य में आधुनिकतम मशीनों द्वारा कल्चर एंड एंटीमाइक्रोबियल ससेप्टिबिलिटी सुविधा प्राप्त हो जायेगी, जिससे समय पर निदान एवं उपचार में महत्वपूर्ण सहयोग मिलेगा।कोविड काल में भी माइक्रोबायोलॉजी विभाग के चिकित्सकों के द्वारा कोविड लैब का संचालन युद्ध स्तर पर किया गया था, जिससे असंख्य मरीजों का उपचार समय रहते सम्भव हो सका।भविष्य में होने वाली ज्ञात अथवा अज्ञात संक्रमणजन्य बीमारी की जांच हेतु आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी विभाग की भूमिका की अहमियत समझी जाती है।वर्तमान समय में यह विभाग मानवता एवं समाज के प्रति सजग एवं सतर्क भूमिका निभाने के लिए सदैव तत्पर रहता है, जिसका सीधा प्रभाव जन-जन के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *