पीलीभीत स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्रों के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित “शॉर्ट टर्म स्टूडेंटशिप 2025” कार्यक्रम का प्रेरण सत्र हुआआयोजित। 
फोटो (डॉ संगीता अनेजा प्रधानाचार्या)
प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में छात्रों को शोध की महत्ता बताते हुए कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने छात्रों को अनुसंधान में नैतिकता, सत्यनिष्ठा तथा साहित्यिक चोरी से बचाव का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की परियोजनाएं छात्रों में शोधोन्मुख दृष्टिकोण विकसित करेंगी, जो भविष्य में उनके चिकित्सा जीवन को अधिक समृद्ध बनाएंगी तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में नवाचारों के माध्यम से समाज को लाभ पहुंचाएंगी।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. शिखा सक्सेना, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, बायोकेमिस्ट्री द्वारा की।जिन्होंने STS कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय देते हुए इसके महत्व एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
फोटो (डॉ. शिखा सक्सेना)
प्रेम चंद्र श्रीवास्तव, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फॉरेंसिक मेडिसिन तथा संस्थागत नैतिकता समिति के सदस्य सचिव ने छात्रों को STS-2025 परियोजना की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
फोटो (डॉ प्रेम चंद्र श्रीवास्तव)
पीलीभीत स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, पीलीभीत में आज प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्रों के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित “शॉर्ट टर्म स्टूडेंटशिप 2025” कार्यक्रम का प्रेरण सत्र आयोजित किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. शिखा सक्सेना, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, बायोकेमिस्ट्री द्वारा की गई, जिन्होंने STS कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय देते हुए इसके महत्व एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात डॉ. प्रेम चंद्र श्रीवास्तव, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फॉरेंसिक मेडिसिन तथा संस्थागत नैतिकता समिति के सदस्य सचिव ने छात्रों को STS-2025 परियोजना की विस्तृत जानकारी प्रदान की।डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि इच्छुक छात्र 31 मई 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम (EPMS) पोर्टल पर अपना शोध प्रोटोकॉल प्रस्तुत कर सकते हैं। यह शोध परियोजना तीन वर्षों में पूर्ण की जाएगी—प्रथम वर्ष से तृतीय वर्ष तक। चयनित छात्रों को कुल ₹60,000 की छात्रवृत्ति तीन किश्तों में प्रदान की जाएगी: प्रथम एवं द्वितीय वर्ष में ₹15,000 और तृतीय वर्ष में ₹30,000। सफलतापूर्वक परियोजना पूर्ण करने वाले छात्रों को ई-प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा।परियोजना का कार्य संस्थान के नियमित संकाय सदस्यों के मार्गदर्शन में संपन्न होगा। प्रत्येक छात्र केवल एक परियोजना के लिए आवेदन कर सकता है, और प्रत्येक संकाय सदस्य केवल एक छात्र का मार्गदर्शन कर सकता है। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को शोध पद्धति, वैज्ञानिक लेखन एवं अनुसंधान नैतिकता के मूल सिद्धांतों से परिचित कराना है।प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में छात्रों को शोध की महत्ता बताते हुए कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने छात्रों को अनुसंधान में नैतिकता, सत्यनिष्ठा तथा साहित्यिक चोरी से बचाव का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की परियोजनाएं छात्रों में शोधोन्मुख दृष्टिकोण विकसित करेंगी, जो भविष्य में उनके चिकित्सा जीवन को अधिक समृद्ध बनाएंगी तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में नवाचारों के माध्यम से समाज को लाभ पहुंचाएंगी