फाइलेरिया बीमारी क्या है?

 

फोटो प्राचार्या डॉ संगीता अनेजा

फाइलेरिया को आमतौर पर “हाथी पाँव”  के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस बीमारी में हाथ या पैर असामान्य रूप से सूज जाते हैं और उनकी बनावट हाथी के पाँव जैसी हो जाती है – मोटी, कठोर और भारी।फाइलेरिया, जिसे लसीका फाइलेरियासिस  भी कहा जाता है, जो एक परजीवी रोग है जो सूक्ष्म धागे जैसे कीड़ों (फाइलेरियल कीड़े) के कारण होता है। यह बीमारी मच्छरों के काटने से फैलती है, विशेष रूप से गर्म और नम जलवायु वाले क्षेत्रों में। यह बीमारी मुख्य रूप से शरीर की लसीका प्रणाली  को प्रभावित करती है, जो शरीर में तरल संतुलन बनाए रखने और संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।

फाइलेरिय  बीमारी कैसे फैलती है? जाने।

(फोटो डॉ अरुण सिंह)

फाइलेरिया सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती। यह तब फैलती है जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है और फिर उसी मच्छर द्वारा किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटा जाता है। फाइलेरिया फैलाने वाले प्रमुख मच्छर हैं – क्यूलेक्स  एनोफिलीज़  और एडीज़।

(फोटो इस मच्छर के काटने फैलता हैं फाइलेरिया रोग)

इस बीमारी के सामान्य लक्षण निम्न हैं।

(फोटो डॉ पूजा सिंदवानी
सहायक आचार्य
सामुदायिक चिकित्सा विभाग)

फाइलेरिया अक्सर लंबे समय तक बिना किसी लक्षण के रहता है। लेकिन जब लक्षण सामने आते हैं, तो इनमें शामिल हो सकते हैं:

• हाथ या पैर की सूजन (जिसे हाथीपाँव या एलीफैंटियासिस कहते हैं)
• पुरुषों में जननांगों की सूजन
• प्रभावित अंगों में दर्द और असहजता
• बुखार और थकान
• त्वचा मोटी और कठोर हो जाना

ये लक्षण लसीका तंत्र में कीड़ों द्वारा हुई क्षति और अवरोध के कारण होते हैं।

चिंता क्यों करें?

फाइलेरिया सिर्फ एक शारीरिक बीमारी नहीं है; यह मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव डालती है। इससे पीड़ित लोग अक्सर शारीरिक विकलांगता, सामाजिक भेदभाव और आजीविका के नुकसान का सामना करते हैं। भारत समेत कई देशों में यह आज भी एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है।

बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है।

अच्छी बात यह है कि फाइलेरिया को बचाव और सही इलाज सेरोका जा सकता है। कुछ आसान उपायों से आप सुरक्षित रह सकते हैं:

मच्छरों से बचाव करें – मच्छरदानी, मॉस्किटो रिपेलेंट और पूरे कपड़े पहनें।
• मच्छरों के प्रजनन को रोकें – आसपास पानी जमा न होने दें और सफाई रखें।
• सरकार द्वारा चलाए जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) कार्यक्रम में भाग लें। इसमें हर साल एक सुरक्षित दवा दी जाती है जो फाइलेरिया के कीड़ों को मारने में मदद करती है।
• लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।

इस बीमारी का इलाज।

फाइलेरिया का इलाज एंटी-पैरासिटिक दवाओं जैसे डीईसी आइवरमेक्टिन और एलबेंडाज़ोल  से किया जाता है। जल्दी पहचान और इलाज से स्थायी नुकसान से बचा जा सकता है। गंभीर मामलों में सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है।सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मिलकर फाइलेरिया को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इसमें आपकी भागीदारी बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य कर्मचारियों का सहयोग करें, दवा समय पर लें और अपने परिवार व पड़ोसियों को भी जागरूक करें।

संदेश

फाइलेरिया एक खामोश बीमारी है, लेकिन आपको चुप रहकर इसे सहने की ज़रूरत नहीं है। थोड़ी सी जागरूकता, सतर्कता और समय पर इलाज से इस बीमारी से बचा जा सकता है। आइए हम सब मिलकर फाइलेरिया को जड़ से खत्म करें और एक स्वस्थ समाज की ओर कदम बढ़ाएं।

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